।।श्री
नीलकंठ स्तोत्रम।।
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विनियोग
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ॐ अस्य श्री
भगवान नीलकंठ सदा-शिव-स्तोत्र मंत्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्ठुप छन्दः, श्री नीलकंठ सदाशिवो देवता, ब्रह्म बीजं,
पार्वती शक्तिः, मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षे
म-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थं च श्री
नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यास
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श्री ब्रह्मा
ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप छन्दसेनमः मुखे। श्री नीलकंठ सदाशिव देवतायै नमः हृदि।
ब्रह्म बीजाय नमः लिंगे। पार्वती शक्त्यैनमः नाभौ। मम समस्त पाप
क्षयार्थंक्षेम-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थंच
श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जविनियोगाय नमः सर्वांगे।
स्तोत्रम्
ॐ नमो नीलकंठाय,
श्वेत-शरीराय, सर्पा लंकार भूषिताय, भुजंग परिकराय, नागयज्ञो पवीताय, अनेक मृत्यु विनाशाय
नमः। युग युगांत काल प्रलय-प्रचंडाय, प्र ज्वाल-मुखाय नमः। दंष्ट्राकराल घोर रूपाय हूं हूं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय,
मंत्र करालाय, प्रचंडार्क सहस्त्रांशु चंडाय नमः। कर्पूर मोद परिमलांगाय
नमः।
ॐ इंद्र नील
महानील वज्र वैलक्ष्य मणि माणिक्य मुकुट भूषणाय हन हन हन दहन दहनाय ह्रीं स्फुर
स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बंध बंध
घातय घातय हूं फट् जरा मरण भय हूं हूं फट् स्वाहा। आत्म मंत्र संरक्षणाय नम:।
ॐ ह्रां ह्रीं
ह्रीं स्फुर अघोर रूपाय रथ रथ तंत्र तंत्र चट् चट् कह कह मद मद दहन दाहनाय ह्रीं
स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बंध
बंध घातय घातय हूं फट् जरा मरण भय हूं हूं फट् स्वाहा।
अनंताघोर ज्वर
मरण भय क्षय कुष्ठ व्याधि विनाशाय, शाकिनी डाकिनी
ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बंधनाय, अपस्मार भूत
बैताल डाकिनी शाकिनी सर्व ग्रह विनाशाय, मंत्र कोटि प्रकटाय पर विद्योच्छेदनाय, हूं हूं फट् स्वाहा। आत्म मंत्र सरंक्षणाय नमः।
ॐ ह्रां ह्रीं
हौं नमो भूत डामरी ज्वालवश भूतानां द्वादश भू तानांत्रयो दश षोडश प्रेतानां पंच दश
डाकिनी शाकिनीनां हन हन। दहन दारनाथ! एकाहिक द्वयाहिक त्र्याहिक चातुर्थिक पंचाहिक
व्याघ्य पादांत वातादि वात सरिक कफ पित्तक काश श्वास श्लेष्मादिकं दह दह छिन्धि
छिन्धि श्रीमहादेव निर्मित स्तंभन मोहन वश्याकर्षणोच्चाटन कीलना द्वेषण इति षट्
कर्माणि वृत्य हूं हूं फट् स्वाहा।
वात-ज्वर मरण-भय
छिन्न छिन्न नेह नेह भूतज्वर प्रेतज्वर पिशाचज्वर रात्रिज्वर शीतज्वर तापज्वर
बालज्वर कुमारज्वर अमितज्वर दहनज्वर ब्रह्मज्वर विष्णुज्वर रूद्रज्वर मारीज्वर
प्रवेशज्वर कामादि विषमज्वर मारी ज्वर प्रचण्ड घराय प्रमथेश्वर! शीघ्रं हूं हूं
फट् स्वाहा।
।।ॐ नमो नीलकंठाय,
दक्षज्वर ध्वंसनाय श्री नीलकंठाय नमः।।
श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश
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शंकरनाथ - 9420675133
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ReplyDeleteis stotra ki urja bahot hi asadharan /aloukik hai.
ReplyDeleteGuru anumati avashyak hai
A peaceful mantra of Lord Shiva 🙏
ReplyDeleteVery thanks. For this.
ReplyDeleteBahot hi powerful stotra hai
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