Tuesday 28 July 2020

रक्षा विजय प्राप्ती करता शाबर मंत्र

 रक्षा विजय प्राप्ती करता शाबर मंत्र 

हाथ बसे हनुमान, भैरों बसे लिलार। जो हनुमान को टीका करे, मोहे जग संसार। जो आवै छाती पाँव धरे , बजरंग बीर रक्षा करें। महम्मदा बीर छाती टोर, जुगुनियां बीर शिर फोर|| उगुनियां बीर मार-मार भास्वंत करे, भैरा बीर की आन फिरती रहे. बजरंग बीर रक्षा करे। जो हमारे ऊपर घाव छाले, तो पलट हनुमान बीर उसी को मारे । जल बाँधे, थल बाँधे, आर्या आसमान बांधे, कुदवा और कलवा बाँधे, चक-चक्की असा असमान बांधे । बाबा साहिब, साहिब के पूत, धर्म के नाती ! आसरा तुम्हारा है। 

खुद की रक्षा, शत्रु पराजय के लिए मंत्र का प्रयोग करे । १०८ बार मंत्र जाप करके धूप के ऊपर मंत्र लेकर ताईत में लेकर लाल रेशम के धागे में लेकर बांध दे। 


अर्धशिशी निवारण (अर्धे डोके दुखणे)

अर्धशिशी निवारण (अर्धे डोके दुखणे)

अ) बन में ब्याई अंजनी, कच्चे बन-फल खाय । हांक मारी हनुमंत ने, इस पिण्ड से आधा सीसी उतर जाय।। 

ब) ॐ नमो बन में व्याई बानरी, उछल वृक्ष पै जाय । कूद-कूद शाखा-नरी, कच्चे बन-फल खाय |। आधा तोडे आधा फोड़े, आधा देय गिराय ।   हंकारत हनुमान जी, आधा सीसी जाय ।।

बाए हाथ मै भभूती लेकर २१ बार सिर दर्द करने वाले व्यक्ति से उतार कर घर के बाहर फेंक दे और हाथ धो ले । ३ दिन तक ऐसा करे । 

अघोर साधना मंत्र

अघोर साधना मंत्र

शिवरात्रि या कृष्ण जयंती पर १०८ बार मंत्र जाप करने से सिद्ध होता है। तांबे के पात्र मै पानी लेकर फूंक मारने से पानी पीने के बाद पूर्ण रक्षा होती है। 


 ॐ गुरूजी चण्ड पड़े, तो धरती लाजे । हाड गले, तो गोरख लाजे । हंस उड़े तो नूरी- जन लाजे । परले जाय, तो सत् - गुरु लाजे । जाळ कु - रखे? काळ कु भखे? अपनी काया आप रखे। आदतों अलीक, पवन की भट्ठी । माता कुँवारी, पिता जती। जलहु बाळा, उलट अलील | पळी काया, राज हंस परम हंस पाया । लो मेलो, लो मेलो । बजर - बजर में पानी , गुंजत अलील । गुपत जुपत दो वाणी । आद की जोत, नाद की काया । नाद - बुन्द से अघोर पाया । अघोर बीज मन्त्र जपो जाप 
ॐ गुरुजी अघोर - अघोर महा - अघोर । माता तो पिता अघोर । बहन तो भाई अघोर । गुरु तो चेला अघोर | देवळ तो मस्जीद अघोर । मुल्ला की बाँग अघोर । काजी का कुरान अघोर । ब्रह्मा का वेद अघोर । नाद अघोर , बीन्द अघोर । शंख अघोर , शङ्खान अघोर , रुप अघोर । चन्द्र अघोर , सुरज अघोर । नव लाख तारा अघोर । अढार भार, वनस्पति अघोर | पूर्व अघोर , पश्चिम अघोर । तंत्र अघोर , दक्षिण अघोर । बजर मेरी काया अघोर । अमास की रात अघोर पेला तो पलक अघोर ।  दुजा क्रोध अघोर । तीजा तो त्रण भुवन अघोर। चौथा तो चार वेद अघोर ।पाँच पाँच पाण्डव अघोर । छट्ठा छ दर्शन अघोर । सातमा तो सात सागर अघोर । आत्मा तो आठ के - पर्वत अघोर । नवमा तो नव-नाथ अघोर । दशमा तो दश अवतार अघोर। अगियारा तो रुद्र अघोर बार पन्थ अघोर । तेरा तो तिलक अघोर । चौंदा तो भूवन अघोर । पंधरा तो तिथी अघोर । सोला तो सोळ कळा अघोर । सतरा तो सिता अघोर । अठारा तो आठरा भार वनसप्ति अघोर । ओगणीसा तो काळ अघोर । चौसा तो विष अघोर । एकवीसा तो ब्रम्हांड अघोर। कहे अलखजी, सुने पार्वती जी अवतार लेकर अघोर में अघोर मीलाया, नाभी में वसे मुळ त्रिकुटी बसे  गणेश । बजरी जरे, बजरी जरे, जरगीए काम-क्रोध । पाँच नाद की मुद्रा जरे । पेरु बजरंग लगोट काया का पारा ना जरे । सिद्धो कबी न आवे । जम की चोट । चन्दा घर चढे, सुरज घर मीले । सो जोगी एक दिन में एक सो आठ जपे । काटा काटे नहीं ।जलाया जले नहीं । डुबाया डुब नहीं । जमीन गाळ दे सो उलटा होकर निकल जाए । सुखा दे रस्सी, पे तो हरा हो जाय । अघोर मंत्र - जाप सम्पूर्ण भया। अनन्त कोट सिद्धों में बेठ महादेव जी ने पार्वती को सुनाया | जपन्ते कपन्ते मोक्ष पावन्ते । ॐ नमः शिवाय ।


 

श्राद्ध न करनेसे हानि

अपने शास्त्रने श्राद्ध न करनेसे होनेवाली जो हानि बतायी है, उसे जानकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अतः आद्ध-तत्त्वसे परिचित होना तथा उसके अनुष्ठा...