Tuesday, 18 July 2023

मनुष्य शरीर - 3 नाड़ियाँ

मनुष्य के शरीर में
मुख्य तीन नाड़ियाँ होती हैं!
1) इड़ा नाड़ी
2) पिंगला नाड़ी
3) सुषुम्ना नाड़ी
ये तीनो नाड़ियाँ एक वक्र पथ में मेरूदंड से होकर जाती है और सात बार एक दूसरे को काटती हुई पार करती हैं! जहाँ पर नाड़ियाँ एक दूसरे को काटती है, उस स्थान को 'प्रतिच्छेदन बिंदु' कहते हैं! इन्ही प्रतिच्छेदन बिंदुओं पर, नाड़ियाँ ब्रह्मांड की किरणों के साथ मिलकर एक शक्तिशाली ऊर्जा का केंद्र बनाती है, जिसे 'चक्र' कहते है!

मनुष्य के शरीर में मूल रूप से 7 सात चक्र होते हैं!
1)मूलाधार चक्र
2)स्वाधिष्ठान चक्र
3)मणिपुर चक्र
4)अनाहत चक्र
5)विशुद्धि चक्र
6)आज्ञा चक्र व
7)सहस्त्रार या सहस्त्रदल या ब्रह्मचक्र
यह चक्र मानव शरीर के मेरूदंड में होते है, और इन्ही चक्रों को शरीर की समस्त दिव्य शक्तियों का केंद्र माना जाता है!

तो आज से हम क्रमशः इन्ही चक्रों के रहस्यों पर चर्चा शुरू करते है! जो कि मूलाधार चक्र से सहस्त्रार चक्र तक स्थूल रूप में ना ही दिखाई देते हैं और ना ही महसूस होते हैं, (जब तक कि इन चक्रो को जाग्रत ना कर लिया जाये) क्योकि शरीर में इनका निवास सूक्ष्म रूप में होता हैं!

हर चक्र के जागने से शरीर में एक विशेष दिव्य ऊर्जा का संचरण होता है! चक्र ध्यान करते समय जब ब्रह्मांड की किरणों से ऊर्जा निकल कर इन चक्र केंद्र पर पड़ती है, तब शरीर के भीतर इन चक्र केंद्रों से एक विशेष दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती हैं! जो मूलाधार चक्र से ऊपर की तरफ गति करती हुई, मध्य के विभिन्न चक्र केंद्रों को भेदती हुई सिर के शीर्षस्थान पर यानि सहस्रार चक्र तक पहुँचती है!

हर चक्र का एक अपना दिव्य प्रकाश पुञ्ज होता है! जो हर गहरी श्वास की गति के साथ,
1)मूलाधार चक्र में रक्तवर्णी
2)स्वाधिष्ठान चक्र में सिन्दूरीवर्ण
3)मणिपूर चक्र में पीतवर्ण
4)अनाहत चक्र में हरितवर्ण
5)विशुद्ध चक्र में हरित-नील (फिरोजी-वर्ण)
6)आज्ञा चक्र में नीलवर्ण व
7)सहस्रार चक्र में बैंगनी वर्ण का आलोक फैलाकर मनुष्य की दिव्य चेतना को समृद्धि करता है!

🙏🙏🙏

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