बगलामुखी साधना
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शत्रु नाश, वाक सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए देवी बगलामुखी की उपासना की जाती है।
विनियोगः-
ॐ अस्य चतुरक्षर बगला मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, आं शक्तिः क्रों कीलकं, सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि-न्यासः-
ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि,
गायत्री छन्दसे नमः मुखे,
बगलामुखी देवतायै नमः हृदि,
ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये,
आं शक्तये नमः पादयो,
क्रों कीलकाय नमः नाभौ,
सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।
*षडङ्ग-न्यास कर-न्यासअंग-न्यास
ॐह्लां अंगुष्ठाभ्यां नमःहृदयाय नमः
ॐह्लीं तर्जनीभ्यां नमःशिरसे स्वाहा
ॐह्लूं मध्यमाभ्यां नमःशिखायै वषट्
ॐह्लैं अनामिकाभ्यां नमःकवचाय हुं
ॐह्लौं कनिष्ठिकाभ्यां नमःनेत्र-त्रयाय वौषट्
ॐह्लःकरतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमःअस्त्राय फट्
ध्यानः-
हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे -
कुटिलालक-संयुक्तां मदाघूर्णित-लोचनां,
मदिरामोद-वदनां प्रवाल-सदृशाधराम् ।
सुवर्ण-कलश-प्रख्य-कठिन-स्तन-मण्डलां,
आवर्त्त-विलसन्नाभिं सूक्ष्म-मध्यम-संयुताम् ।
रम्भोरु-पाद-पद्मां तां पीत-वस्त्र-समावृताम् ।।
पुरश्चरण में चार लाख जप कर, मधूक-पुष्प-मिश्रित जल से दशांश तर्पण कर घृत-शर्करा-युक्त पायस से दशांश हवन ।
मंत्र -
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।
गायत्री मंत्र-
ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।।
अष्टाक्षर गायत्री मंत्र-
ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।।
अष्टाक्षर मंत्र-
ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा
त्र्यक्षर मंत्र-
ऊँ ह्लीं ऊँ
नवाक्षर मंत्र-
ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ:
एकादशाक्षर मंत्र-
ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा।
ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल:
ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्।
षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।
1) भय नाशक मंत्र—–
अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन
पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें…
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…
दक्षिण दिशा की और मुख रखें….
2) शत्रु नाशक मंत्र—-
अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें….
मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये ….
सुरक्षा कवच का मंत्र—-
प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता ….
ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम
देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें..
छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें…
रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…
ये स्तम्भन की देवी भी हैं। कहा जाता है कि सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती।
बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र
‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’ का जप,
हल्दी की माला पर करना चाहिए
बल प्रदाता मंत्र—-
यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए…
ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ
पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है…
पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए…
पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें
लम्बी आयु का मंत्र—-
यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए…
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:
पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें…
मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये…
प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें….
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें
बच्चों की रक्षा का मंत्र
यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. .
ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष
देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें…
दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें….
मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें…
प्रतियोगिता नोकरी में सफलता का मंत्र—–
आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें….
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:
बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं…
देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें…
रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें
जादू टोना नाशक मंत्र
यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….
ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय
आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं….
कपूर से देवी की आरती करें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे
शत्रु नाशक मंत्र
अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें….
मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये ….
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें
भय नाशक मंत्र
अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन
पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें…
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…
दक्षिण दिशा की और मुह करके जप करे संक्षिप्त साधना विधि, छत्तीस अक्षर के मंत्र का विनियोग ऋयादिन्यास, करन्यास, हृदयाविन्यास व मंत्र इस प्रकार है--
विनियोग
ऊँ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषिः
त्रिष्टुप छंदः श्री बगलामुखी देवता ह्लीं बीजं स्वाहा शक्तिः प्रणवः कीलकं ममाभीष्ट सिद्धयार्थे जपे विनियोगः।
मंत्र इस प्रकार है--
ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।
मंत्र जाप लक्ष्य बनाकर किया जाए तो उसका दशांश होम करना चाहिए। जिसमें हल्दी, हरताल, चने की दाल, काले तिल एवं शुद्ध घी का प्रयोग करें एवं समिधा में आम की सूखी लकड़ी या पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं। मंत्र जाप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर करना चाहिए।
ॐ रीम श्रीम बगलामुखी वाचस्पतये नमः !
|| साधना विधि ||
इस मन्त्र को बगलामुखी जयंती को पूरी रात लिंग मुद्रा का प्रदर्शन करते हुए सारी रात जप करते रहे यदि थक जाये तो थोडा आराम कर ले पर आसन से न उठे ! इस प्रकार यह मन्त्र एक रात में सिद्ध हो जाता है ! दुसरे दिन किसी लड़की को पीला प्रसाद जरूर खिलाये और मंदिर में देवी दुर्गा को भी पीले प्रसाद का भोग लगाये !
|| प्रयोग विधि ||
मन्त्र को 21 दिन 21 माला रात्रि में हल्दी की माला से जपे आपकी शत्रु बाधा से सम्बंधित सभी समस्याए शांत हो जाएगी !
बगलामुखी कवचं
श्रुत्वा च बगलापूजां स्तोत्रं चाप महेश्वर ।
इदानी श्रोतुमिच्छामि कवचं वद मे प्रभो ॥ १ ॥
वैरिनाशकरं दिव्यं सर्वाSशुभविनाशनम् ।
शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:खनाशनम् ॥२॥
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श्रीभैरव उवाच :
कवचं शृणु वक्ष्यामि भैरवीप्राणवल्लभम् ।
पठित्वा धारयित्वा तु त्रैलोक्ये विजयी भवेत् ॥३॥
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ॐ अस्य श्री बगलामुखीकवचस्य नारद ऋषि: ।
अनुष्टप्छन्द: । बगलामुखी देवता । लं बीजम् ।
ऐं कीलकम् पुरुषार्थचष्टयसिद्धये जपे विनियोग: ।
ॐ शिरो मे बगला पातु हृदयैकाक्षरी परा ।
ॐ ह्ली ॐ मे ललाटे च बगला वैरिनाशिनी ॥१॥
गदाहस्ता सदा पातु मुखं मे मोक्षदायिनी ।
वैरिजिह्वाधरा पातु कण्ठं मे वगलामुखी ॥२॥
उदरं नाभिदेशं च पातु नित्य परात्परा ।
परात्परतरा पातु मम गुह्यं सुरेश्वरी ॥३॥
हस्तौ चैव तथा पादौ पार्वती परिपातु मे ।
विवादे विषमे घोरे संग्रामे रिपुसङ्कटे ॥४॥
पीताम्बरधरा पातु सर्वाङ्गी शिवनर्तकी ।
श्रीविद्या समय पातु मातङ्गी पूरिता शिवा ॥५॥
पातु पुत्रं सुतांश्चैव कलत्रं कालिका मम ।
पातु नित्य भ्रातरं में पितरं शूलिनी सदा ॥६॥
रंध्र हि बगलादेव्या: कवचं मन्मुखोदितम् ।
न वै देयममुख्याय सर्वसिद्धिप्रदायकम् ॥ ७॥
पाठनाद्धारणादस्य पूजनाद्वाञ्छतं लभेत् ।
इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीम् ॥८॥
पिवन्ति शोणितं तस्य योगिन्य: प्राप्य सादरा: ।
वश्ये चाकर्षणो चैव मारणे मोहने तथा ॥९॥
महाभये विपत्तौ च पठेद्वा पाठयेत्तु य: ।
तस्य सर्वार्थसिद्धि: स्याद् भक्तियुक्तस्य पार्वति ॥१०॥
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इति श्रीरुद्रयामले बगलामुखी कवचम संपूर्ण ।।
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
संस्थापक - शंकरनाथ (महाराष्ट्र ) ९४२०६७५१३३.
अधिकृत प्रवक्ता - नंदेशनाथ (महाराष्ट्र ) ८८५६९६६४८०.