हवन विधी
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आहुति डालने के लिए घी अलग से |
लकड़ी – आम, पिप;, पलाश, बड आदि |
ये सामग्री २१०० आहुति के लिए है ।
हवन कम करना हो तो उस हिसाब से सामग्री ले ।
हवन करते वक़्त प्रथम संकल्प ले
-
संकल्प
आद्य पूर्वचरित एवम् गुन विशीष्टाय शुभ पुण्य तिथो ,
पूर्व संकल्प आधारेन् मम
सकल दुरित शय कारकः
अनिष्ट शक्ति समूळ उच्चाटन
आर्थ जरा व्याधि मुतु भय निवरणा अर्थे।
साधना(साधना देवता का नाम ले ) देवत समुख सानिध्य
भव हवन आहुति स्वीकारषय
कुण्डदेवता –
निम्न मन्त्र पढ़कर हवनकुण्ड मै अक्षता डाले |
आवाहयामि त्वत्कुण्ड विश्वकर्मा विनिर्मिम | शरीरंयच्चते दिव्यम अग्निधीष्ठान मदभूतम |
ॐ भुर्भुव: स्व: कुण्डय नम: | आवाहयामि | स्थापयामि ||
परिसमुह्न – हाथ मैं ३ दर्भ लेकर हवनकुण्ड के उपर डाले
कृमिकिटक पतंगाधा विचरंति महीतले | तेषां संरक्षणाथाय परिसमुह्न मुच्यते ||
उपलेपनम –
हाथ मै गोमूत्र और जल लेकर हवनकुण्ड के ऊपर डाले |
पूराशक्रेन वज्रेण हतो वृत्ता महासुरः | व्यपिता मेद्सा पृथ्वी तदर्थ्यमुपलेपनम ||
संकल्प
आद्य पूर्वचरित एवम् गुन विशीष्टाय शुभ पुण्य तिथो ,
पूर्व संकल्प आधारेन् मम
सकल दुरित शय कारकः
अनिष्ट शक्ति समूळ उच्चाटन
आर्थ जरा व्याधि मुतु भय निवरणा अर्थे।
साधना(साधना देवता का नाम ले ) देवत समुख सानिध्य
भव हवन आहुति स्वीकारषय
कुण्डदेवता –
निम्न मन्त्र पढ़कर हवनकुण्ड मै अक्षता डाले |
आवाहयामि त्वत्कुण्ड विश्वकर्मा विनिर्मिम | शरीरंयच्चते दिव्यम अग्निधीष्ठान मदभूतम |
ॐ भुर्भुव: स्व: कुण्डय नम: | आवाहयामि | स्थापयामि ||
परिसमुह्न – हाथ मैं ३ दर्भ लेकर हवनकुण्ड के उपर डाले
कृमिकिटक पतंगाधा विचरंति महीतले | तेषां संरक्षणाथाय परिसमुह्न मुच्यते ||
उपलेपनम –
हाथ मै गोमूत्र और जल लेकर हवनकुण्ड के ऊपर डाले |
पूराशक्रेन वज्रेण हतो वृत्ता महासुरः | व्यपिता मेद्सा पृथ्वी तदर्थ्यमुपलेपनम ||
इसके बाद हवनकुण्ड की मिटटी
निम्न पढ़कर बाहर फेके
अनामिकाडष्ठाभ्या मृदमुध्द्रूत्य
पर्युक्षण – हाथ मै जल लेकर हवनकुण्ड के उलटे फिरवावे ऐसा ३ बार पर्युक्षण कहके करे
अग्नि आवाहन – ॐ जुष्टो दमूना अतिथिर्दुरोण इमनो यज्ञमुपयाही विद्वान् |
विश्वा अग्ने अभियुजो विहत्या शत्रुयतामा भराभोजननामि ||
अनामिकाडष्ठाभ्या मृदमुध्द्रूत्य
पर्युक्षण – हाथ मै जल लेकर हवनकुण्ड के उलटे फिरवावे ऐसा ३ बार पर्युक्षण कहके करे
अग्नि आवाहन – ॐ जुष्टो दमूना अतिथिर्दुरोण इमनो यज्ञमुपयाही विद्वान् |
विश्वा अग्ने अभियुजो विहत्या शत्रुयतामा भराभोजननामि ||
अग्नि पूजनम – निम्न मन्त्र पढ़कर यजमान हवनकुण्ड मै अक्षता डाले
भो वरदा नामग्ने त्वम आवाहयामि |
भो वरदा नामग्ने त्वम स्थापितो भव |
भो वरदा नामग्ने त्वम सन्नीधो भव |
भो वरदा नामग्ने त्वम सन्नीरुध्दो भव |
भो वरदा नामग्ने त्वम अवगुंठीतो भव |
भो वरदा नामग्ने त्वम अमृती कृतो भव |
भो वरदा नामग्ने त्वम परमकृतो भव |
हवन की आहुति
ॐ गं गणपते नम स्वाहा
ॐ विष्णु देवताय नम स्वाहा
ॐ ब्रम्हाय नम स्वाहा
ॐ प्रजापत्य नम स्वहा
ॐ आनंताय नम
ॐ पृथी नमः स्वहा
ॐ कूर्म नमः स्वाहा
ॐ स्वःहा नम स्वाह
ॐ स्वधा नम स्वाहा
ॐ आम्बा नमा स्वाहा
ॐ अम्बिका नमः स्वाहा
ॐ आं आम्बालिके नमः
ॐ सतगुरुभ्यो नमः
नवग्रह आहुति \
1 ॐ घृणि आदित्याय नमः
2 ॐसोम सोमाय नमः
3 ॐ अं अंगारकाय नमः
4ॐ बूम बृहस्पत्यय नमः
5 ॐ बूम बुधाय नमा
6 ॐ शुं शुकराय नमः
7 ॐ शं शेनेश्वरॉय नमः
8 ॐ रां राहवे नमः
9 ॐ के केतवे नमा
इसके पश्यात साधना देवता मन्त्र की आहुति शुरू करे |
श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
शंकरनाथ - 9420675133
नंदेशनाथ - 8087899308
Thank you for information
ReplyDeleteMast
ReplyDeleteThank you very much. Just what I always needed !👍👌
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice and very important information thanks about it
ReplyDeletethanks for detailing
ReplyDeleteThank u for nice information
ReplyDeleteAn Expert Pandith Sairam, a Palm Reading Specialist in Canada, can tell a lot about a seeker's personality from the shape and lines of his hand.
ReplyDeleteAstrologer in Canada
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ReplyDeletebest astrologer in florida