Friday, 20 April 2018

Runmochan Mangal Stotra (ऋण मोचन मंगल स्तोत्र)

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र 


मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां। कृपाकरं
वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।
अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:।
वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:||
एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात् ।।
स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।
अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:।
भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।।
अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
विरञ्चि शक्रादिविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।।
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:।
ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।।
एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम्।

महतीं श्रियमाप्रोति ह्यपरा धनदो युवा:।   

7 comments:

  1. किसी अच्छे दिन संकल्प लेकर शुरू करे |दिन मै ११ बार पठन करना आवश्यक है |

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  2. is stotraka vistarpurvak nivedan kare to samzne main asani hogi

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  3. Stotra ko puri Tarah samzaye!

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