पशुपतास्त्र मंत्र साधना
पशुपतास्त्र
मंत्र साधना एवं सिद्धि ब्रह्मांड में तीन अस्त्र सबसे बड़े हैं। पहला पशुपतास्त्र,
दूसरा नारायणास्त्र एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र। इन
तीनों में से यदि कोई एक भी अस्त्र मनुष्य को सिद्ध हो जाए, तो उसके सभी कष्टों का शमन हो जाता है। उसके समस्त कष्ट समाप्त
हो जाते हैं। परंतु इनकी सिद्धि प्राप्त करना सरल नहीं है। यदि आपमें कड़ी साधना
करने का साहस एवं धैर्य नहीं है तो ये साधना आपके लिए नहीं है। किसी भी प्रकार की
साधना करने हेतु मनुष्य के भीतर साहस एवं धैर्य दोनों की आवश्यकता होती है।
मंत्र - ऊँ श्लीं
पशु हुं फट्।
विनियोग :- ऊँ
अस्य मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः,
पशुपतास्त्ररूप पशुपति देवता, सर्वत्र यशोविजय लाभर्थे जपे विनियोगः।
षडंग्न्यास :- ऊँ
हुं फट् ह्रदयाय नमः। श्लीं हुं फट्
शिरसे स्वाहा। पं हुं फट् शिखायै
वष्ट्। शुं हुं फट् कवचाय हुं। हुं हुं फट् नेत्रत्रयाय वौष्ट्। फट् हुं फट् अस्त्राय फट्।
ध्यान:-
मध्याह्नार्कसमप्रभं शशिधरं भीमाट्टहासोज्जवलम् त्र्यक्षं पन्नगभूषणं शिखिशिखाश्मश्रु-स्फुरन्मूर्द्धजम्।
हस्ताब्जैस्त्रिशिखं समुद्गरमसिं शक्तिदधानं विभुम् दंष्ट्रभीम चतुर्मुखं पशुपतिं
दिव्यास्त्ररूपं स्मरेत्।।
सर्वप्रथम अपने
गुरुदेव से इस मंत्र की दीक्षा प्राप्त करें। इस मंत्र का पुरश्चरण 6 लाख जप करने से होता है। उसका दशांश होम,
उसका दशांश तर्पण, उसका दशांश मार्जन एवं उसका दशांश ब्राह्मण भोज होता है। इस
मंत्र के साथ में पाशुपतास्त्र स्त्रोत का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। इस पाशुपत
मंत्र की एक बार आवृति करने से ही मनुष्य संपूर्ण विघ्नों का नाश कर सकता है। सौ
आवृतियों से समस्त उत्पातों को नष्ट कर सकता है। इस मंत्र द्वारा घी और गुग्गल के
होम से मनुष्य असाध्य कार्यों को भी सिद्ध कर सकता है। इस पाशुपतास्त्र मंत्र के
पाठमात्र से समस्त क्लोशों की शांति हो जाती है। पशुपतास्त्र स्त्रोत का नियमित
रूप से 21 दिन सुबह-शाम 21-21 पाठ करें। साथ ही निम्नलिखिल स्त्रोत का 108 बार जाप करें। सुबह अथवा शाम को काले तिल से
इस मंत्र की 51 आहुतियां भी
अवश्य करें।
।।पाशुपतास्त्र
स्त्रोतम।।
मंत्रपाठ :- ऊँ
नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपञ्चनयनाय नानारूपाय
नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगरंक्ताय भिन्नाञ्जनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय
सर्वविघ्ननिकृन्तन-रताय सर्वसिद्धिप्रप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादय
तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभंजनाय
सूर्यसोमाग्निनेत्राय विष्णु-कवचाय खंगवज्रहस्ताय यमदंडवरुणपाशाय रुद्रशूलाय
ज्वलज्जिह्वाय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय-कारिणे।
ऊँ कृष्णपिंगलाय
फट्। हुंकारास्त्राय फट्। वज्रह-स्ताय फट्। शक्तये फट्। दंडाय फट्। यमाय फट्।
खड्गाय फट्। नैर्ऋताय फट्। वरुणाय फट्। वज्राय फट्। ध्वजाय फट्। अंकुशाय फट्।
गदायै फट्। कुबेराय फट्। त्रिशुलाय फट्। मुद्गराय फट्। चक्राय फट्। शिवास्त्राय
फट्। पद्माय फट्। नागास्त्राय फट्। ईशानाय फट्। खेटकास्त्राय फट्। मुण्डाय फट्।
मुंण्डास्त्राय फट्। कंकालास्त्राय फट्। पिच्छिकास्त्राय फट्। क्षुरिकास्त्राय
फट्। ब्रह्मास्त्राय फट्। शक्त्यस्त्राय फट्। गणास्त्राय फट्। सिद्धास्त्राय फट्।
पिलिपिच्छास्त्राय फट्। गंधर्वास्त्राय फट्। पूर्वास्त्राय फट्। दक्षिणास्त्राय
फट्। वामास्त्राय फट्। पश्चिमास्त्राय फट्। मंत्रास्त्राय फट्। शाकिन्यास्त्राय
फट्। योगिन्यस्त्राय फट्। दंडास्त्राय फट्। महादंडास्त्राय फट्। नमोअस्त्राय फट्।
सद्योजातास्त्राय फट्। ह्रदयास्त्राय फट्। महास्त्राय फट्। गरुडास्त्राय फट्।
राक्षसास्त्राय फट्। दानवास्त्राय फट्। अघोरास्त्राय फट्। क्षौ नरसिंहास्त्राय
फट्। त्वष्ट्रस्त्राय फट्। पुरुषास्त्राय फट्। सद्योजातास्त्राय फट्। सर्वास्त्राय
फट्। नः फट्। वः फट्। पः फट्। फः फट्। मः फट्। श्रीः फट्। पेः फट्। भुः फट्। भुवः
फट्। स्वः फट्। महः फट्। जनः फट्। तपः फट्। सत्यं फट्। सर्वलोक फट्। सर्वपाताल
फट्। सर्वतत्व फट्। सर्वप्राण फट्। सर्वनाड़ी फट्। सर्वकारण फट्। सर्वदेव फट्।
ह्रीं फट्। श्रीं फट्। डूं फट्। स्भुं फट्। स्वां फट्। लां फट्। वैराग्य फट्।
मायास्त्राय फट्। कामास्त्राय फट्। क्षेत्रपालास्त्राय फट्। हुंकरास्त्राय फट्।
भास्करास्त्राय फट्। चंद्रास्त्राय फट्। विध्नेश्वरास्त्राय फट्। गौः गां फट्।
स्त्रों स्त्रों फट्। हौं हों फट्। भ्रामय भ्रामय फट्। संतापय संतापय फट्। छादय
छादय फट्। उन्मूलय उन्मूलय फट्। त्रासय त्रासय फट्। संजीवय संजीवय फट्। विद्रावय
विद्रावय फट्। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट्।
इन मंत्रों का 1008 की संख्या में पाठ करने के उपरांत प्रतिदशांश
हवन, तर्पण एवं मार्जन भी
विधिपूर्वक करें।
very new information
ReplyDeleteDhanyawad
DeleteBahut acchi jankari di hai
ReplyDeleteDhanyawad
DeleteNice
ReplyDeleteVery rare information
ReplyDeleteVery nice sdhana
ReplyDeleteDhanyawad
DeleteVery nice sdhana
ReplyDeleteVery nice sdhana
ReplyDeleteBahot hi sunder sadhana, iske bare me kabhi suna nahi hai
ReplyDeleteYe sadhana ladies kar sakte hai Kya??
ReplyDeleteji Ladies bhi yah sadhna kr sakti hai
Deleteबहोत अलग साधना है
ReplyDeleteBahut hi alaukik sadhna..
ReplyDeleteBahut hi alaukik sadhna..
ReplyDeleteNice sadhna and new information which was not know before
ReplyDeleteNice sadhna and new information which was not know before
ReplyDeleteThank you for such valuable information.pls share such great Sadhna in future also ..
ReplyDeleteThank you for your comment.
DeleteAapane acchi Sadhana batai hai
ReplyDelete