Friday, 20 April 2018

Kankali Sadhna (कंकाली साधना)

कंकाली साधना 



आर्थिक संकट से मुक्ति , शीघ्र सिद्धिदात्री, हर मनोकामना होती है पूरी   

काली की ही रूप एक कंकाली देवी शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है। शीघ्र सिद्धिप्रदा इस माता की साधना में न कोई झंझट है और न ज्यादा समय लगता है। आर्थिक संकट में फंसे लोगों के लिए इनकी साधना कामधेनु की तरह फलदायी है। इनका मंदिर कम है लेकिन जहां भी है, वहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है और उनकी मनोकामना भी शीघ्र पूरी होती है।   
लोककथा के अनुसार काली के विकराल रूप को कंकाली कहा जाता है। मथुरा में इनके नाम पर यह टीला है। कहा जाता है कि कंकाली देवी कंस द्वारा पूजी जाती थीं। पुरातत्त्व उत्खनन के अनुसार यहाँ एक प्राचीन जैन स्तूप स्थित होने के प्रमाण मिले। यहाँ मिली सभी वस्तुऐं जैनकालीन है। इसके सबसे पुराने अवशेष ई.पू. प्रथम शताब्दी के माने जाते है और सबसे नये 1177 ई. के माने जाते हैं। लखनऊ संग्रहालय में स्थित एक अभिलेख के अनुसार यहाँ के बौद्धस्तूप में प्रतिमा की स्थापना का विवरण 157 ई. का है। नये उत्खनन के अनुसार जो कि सड़क के किनारे वाले टीले का हुआ है जो बौद्ध विहार होने का संकेत देता है। साथ ही ईंटों के बने एक चौकोर कुण्ड भी है जिसकी संभावना कृष्णकालीन होने की हैं।   

आर्थिक संकट से मुक्ति के लिए   

1-काली कंकाली केलि कलाभ्यां स्वाहा
   
दस हजार रोज जप एवं एक हजार हवन (सूखी मछली से। न मिले तो त्रिमधु-- मधु, चीनी व घी से) 21 दिन में अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इस अनुष्ठान से आर्थिक समस्या का शीघ्र निवारण होता है। इस विधि से अन्य मनोकामना की भी पूर्ति हो सकती है। मंत्र जप, हवन आदि के लिए कोई नियम व तरीका निर्धारित नहीं। अर्थात- इसके लिए शुद्धि-अशुद्धि, न्यासादि की भी जरूरत नहीं है। सिर्फ निर्धारित संख्या में जप व हवन से अभीष्ट की पूर्ति होती है। हालांकि इतना ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि देवी के प्रति अटूट भक्ति और विश्वास हो।
   
सर्व मनोकामना पूर्ति के लिए उपयोगी मंत्र
   
    2- द्वादशाक्षर मंत्र---------ऊं काली कंकाली किल किले स्वाहा
    3-त्रयोदशाक्षर मंत्र---------ऊं ह्रीं काली कंकाली किल किल स्वाहा
    4-चतुर्दशाक्षर मंत्र---------(अ) ऊं काली महाकाली केलिकलाभ्यां स्वाहा
    (ब) ऊं ह्रीं काली कंकाली किल किल फट स्वाहा

    5-पंचादशाक्षर मंत्र---------(अ) क्लीं कालि कालि महाकालि कोले किन्या स्वाहा
    (ब) ऊं कां काली महाकाली केलिकलाभ्यां स्वाहा

विधि--
   

उड्डामहेश्वर तंत्र एवं काली कल्पतरु में कंकाली के मंत्रों के जप के लिए दस हजार की संख्या में ही पुरश्चरण कहा गया है। उसके अनुसार दिन में दस हजार मंत्र का जप कर शाम को दसवें हिस्से के मंत्र से हवन करें। हवन की यह संख्या कम भी हो सकती है। एक अन्य मत के अनुसार--संध्याकाले सहस्रैकं होमयेत् ततः कंकाली वरदा भवति, सुवर्ण चतुष्टयं प्रत्यहं ददाति।

श्रीनाथजी  गुरूजी को आदेश आदेश आदेश
    
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :    

शंकरनाथ - 9420675133  
नंदेशनाथ - 8087899308

9 comments:

  1. Nice mast ahe

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  2. Nice mast ahe

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  3. आदेश
    उत्तम कार्य

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  4. Atishay surekh

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  5. Khup changle Kary kartay.

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  6. Swarup ko Jankar uchit varnan ho shri

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  7. प्रणाम श्रीमान कृपया बतायें अगर 100 माला अर्थात 10000 जाप ना कर सकें तो क्या 1 या 3 माला कर सकते हैं क्योंकि समय का आभाव है और समस्या बहुत है 15 वर्षों से परेशान हूँ के मेरे मकान का काम बन जाये पर कुछ नही हो पा रहा माँ भगवती को बहुत मानता हूं कृपा कर कुछ बतायें आपका आभार होगा ।धन्यवाद जय माँ भगवती।

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