गगन मंडल पर उँधा कुआ जहा अमृत का बासा।
सुगरा होए तो भर भर पीवे नुगरा जाए प्यासा।।
मतलब की गगन मंडल पे उलटा कुआ अब ये कुआ उलटा हैं तो इस उलटे कुए का अमृत तो वही पी सकता हैं जो समर्थ रखता हो यह सत्य हैं
की खेचरी मुद्रा के दुवारा इस अमृत को पान किया जाता हैं पर इस मुद्रा के पहले कई काम होते हैं
की खेचरी मुद्रा !चाचरी निधि ! अगोचरी बुद्धि ज्ञान का बटुवा निरत की सैली और संतोष सूत वीवेक धागा ।गोरक्षनाथ जी ने शुक्ष्म वेद का निर्माण की ये चार वेद आप जानते हो पर सूक्ष्म वेद पाचवा वेद हैं इसी वेद में वो अमर कथा हैं जो शिव ने शक्ति सुनाई ।।
इस वेद के माध्यम से चौरासी सिद्धो का विस्तार हुआ और अमर तत्व को पाया ।।
सब बाते शब्दों की महिमा हैं हम कहना तो नहीं चाहते थे पर एक सवाल छोड़ता हु की ये सबद कहा निकलता हैं जिसे आप बोलते हो ।।
सिर्फ ॐ जपने से कुछ नहीं होता आपको शांति मिल जाएगी पर उस वचन का क्या जो गर्भ में उस परमात्मा को दिया । हम को पता हैं की आपको यह बाते समझ नहीं आएँगी क्युकी एक तो वाणी और एक नाथ की व्याख्या सब उलट पलट पर यह बाते परस्पर उस वाणी से जुडी हैं जिसे आपने लिखा हैं क्युकी सबद का ताला लगा हैं जैसा आप इसे पड़ कर सोचेंगे वेसा ही भरथरी बाबा ने गोरक्षनाथ जी शब्द सुनने के बाद सोचा था क्या ये पागल है बाबा। क्युकी
सबद ही कुची सबद ही ताला सबदे सबद घट में हो उजियाला।
काटे बिन काटा नहीं निकले कुंजी बीन खुले नहीं ताला।।।
वेद पुराण मजल नहीं पुग्या नहीं पुग्या पंडित काजी ।।
साचा संत हरिजन पुग्या अमर नाम रोप बाजी।
***************नरेश नाथ**************
Aadesh
ReplyDeleteमस्त माहिती
ReplyDeleteनरेश नाथ की नंदेश नाथ?
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