आदि ॐ सत नमो आदेश।आदि ॐ गुरुजी को आदेश।आदि ॐ शिव गोरक्ष योगी आदेश।सभी भक्त तथा नाथ सेवक को कोटि कोटि आदेश।
मेरे सृष्टि तथा पर्यावरण का इंसानों बहुत नुकसान हानि पहुंचाई है । इसी कारण मैंने आपको सीख देने हेतु जगत कल्याण कारण यह सब निसर्गिक बदलाव कर रहा हूं।
आप इंसान अभी भी सिर्फ खुद के ही बारे सोच रहे हैं।मैंने जो ब्रह्मांड निर्माण किया है ,सिर्फ आपके लिए नही है,और भी सजीव निर्जीव निर्माण किए हैं।हर एक का कोई न कोई कार्य हेतु उत्तप्ती करवाई है, उसिके के वजसे हर तरफ समतोल बनाया है,मगर आप लोगों ने ख़ुद के स्वार्थ हेतु बहुत बड़ी गलतियां कर रहे है।
यह जो भी बीमारियां आ रही हैं,वह मैंने है , लाई है।
***** गोरक्ष वाणी *****
पवन ही जोग पवन है , पवन ही भोग , पवन ही हरे , छत्तीसौ रोग,या पवन कोई जाने भव, सो आपे करता आपे देव । ग्यान सरिखा गुरू ना मिलाया चित्त सरीखा चेला ,मन सरीखा मेलू ना मिलाया , ताथै गोरख फिरे अकेला । कायागढ भीतर देव देहुरा कासी , सहज सुभाई मिले अवनासी । बन्दत गोरखनाथ सुनै नर लोई कायागढ जीतेगा बिरला नर कोई।
अर्थ : जो हवा है,वो सिर्फ मेरे ही नियंत्रण में है, हवा है, जोग है, क्योंकि हवा है , किसी मै भी समा जाती हैं,जीवन मरण पवन के बिना असंभव है,हवा के बिना खाने का कोई मतलब नहीं है,हवा ही है,हर जगह अस्तित्व रखती हैं,हवा ही है, जो हर रोगों को नियंत्रण कर सकती हैं, हवा ही है, जो हर जगह भय पैदा कर सकती है,तभी हमारे शरीर बैठे ,परमात्मा जागृत होते हैं, ग्यान चित्त मन को जागृत कर ने का काम भी प्राणायमसे ही हवा करती हैं,तभी आपका शरीर पे नियंत्रण ही के आत्मा , जीवात्मा और परमात्मा मै प्रवेश कर पाती हैं,तभी सच्चा साधक परम गति पाकर मोक्ष प्राप्त कर परम धाम प्रवेश कर पता है।
आदि ॐ अलख निरंजन सब दुःख भजन आदेश। शुभम भवतु ।
खुद मे बदलाव पा लो तो ही आगे चल कर सही पाओगे।
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