Wednesday 12 January 2022

भगवान श्री राम के मृत्यु का कारण

भगवान श्री राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त हनुमान जी थे.... क्योंकि हनुमान जी के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो प्रभु श्री राम के पास पहुँच सके इसलिए स्वयं श्रीराम जी ने इसका हल निकाला.....

एक दिन, श्रीराम जान गए कि उनकी मृत्यु का समय हो गया था। *वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना पड़ता है। “यम को मुझ तक आने दो। मेरे लिए वैकुंठ, मेरे स्वर्गिक धाम जाने का समय आ गया है”, उन्होंने कहा.....* लेकिन मृत्यु के देवता यम अयोध्या में घुसने से डर रहे थे क्योंकि उनको राम के परम भक्त और उनके महल के मुख्य प्रहरी हनुमान जी से भय लग रहा था....

*यम के प्रवेश के लिए हनुमान को हटाना जरुरी था। इसलिए राम ने अपनी अंगूठी को महल के फर्श के एक छेद में से गिरा दिया और हनुमान से इसे खोजकर लाने के लिए कहा। हनुमान जी ने स्वंय का स्वरुप छोटा करते हुए बिलकुल भंवरे जैसा आकार बना लिया और केवल उस अंगूठी को ढूढंने के लिए छेद में प्रवेश कर गए, वह छेद केवल छेद नहीं था बल्कि एक सुरंग का रास्ता था जो सांपों के नगर नाग लोक तक जाता था। हनुमान जी नागों के राजा वासुकी से मिले और अपने आने का कारण बताया......*
वासुकी... हनुमान को नाग लोक के मध्य में ले गए जहां अंगूठियों का पहाड़ जैसा ढेर लगा हुआ था.... *“यहां आपको राम की अंगूठी अवश्य ही मिल जाएगी” वासुकी ने कहा। हनुमान जी सोच में पड़ गए कि वो कैसे उसे ढूंढ पाएंगे क्योंकि ये तो भूसे में सुई ढूंढने जैसा था। लेकिन सौभाग्य से, जो पहली अंगूठी उन्होंने उठाई वो राम जी की अंगूठी थी। आश्चर्यजनक रुप से, दूसरी भी अंगूठी जो उन्होंने उठाई वो भी राम की ही अंगूठी थी। वास्तव में वो सारी अंगूठी जो उस ढेर में थीं, सब एक ही जैसी थी। “इसका क्या मतलब है...?” वह सोच में पड़ गए। वासुकी जी मुस्कुराए और बाले, “जिस संसार में हम रहते है, वो सृष्टि व विनाश के चक्र से गुजरती है। इस संसार के प्रत्येक सृष्टि चक्र को एक कल्प कहा जाता है। हर कल्प के चार युग या चार भाग होते हैं। दूसरे भाग या त्रेता युग में, राम अयोध्या में जन्म लेते हैं। एक वानर इस अंगूठी का पीछा करता है और पृथ्वी पर राम मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इसलिए यह सैकड़ो हजारों कल्पों से चली आ रही अंगूठियों का ढेर है। सभी अंगूठियां वास्तविक हैं.... अंगूठियां गिरती रहीं और इनका ढेर बड़ा होता रहा। भविष्य के रामों की अंगूठियों के लिए भी यहां काफी जगह है”.......*

हनुमान जी जान गए कि उनका नागलोक में प्रवेश और अंगूठियों के पर्वत से साक्षात, कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। *यह राम का उनको समझाने का मार्ग था कि मृत्यु को आने से रोका नहीं जा सकेगा....... 🚩 "राम मृत्यु को प्राप्त होंगे....." हमारा जीवन समाप्त होगा.. 🚩 लेकिन हमेशा की तरह, यह संसार चलता रहेगा और हम भी जन्म लेते रहते हैं और मरते रहते हैं और रामजी भी पुनः जन्म लेंगे और हम भी...........* 


जय जय श्री राम


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