Tuesday, 27 April 2021

श्री महामारी स्तोत्रम्



 महाकालीमहन्नौमि महामारीस्वरूपिणीम्। रक्ष रक्ष जगन्मातस्त्वामेव शरणङ्गत:।।१।। त्वमेव शत्रुसंहन्त्री त्वमेव प्रलयेश्वरी। त्वामेव जगतां त्रात्रीं महामारीं नमाम्यहम्।।२।। त्वदर्भकस्त्वया त्रस्तस्त्वयैव रक्षितो मुहु:। दुष्ट दैत्य निहित्वं त्वां महामारीं नमाम्यहम्।।३।। यदा त्वं कुपिता मातस्तदा को रक्षको भवेत्। कारुण्यरूपिणीं देवीं महामारीं नमाम्यहम्।।४।। त्वमेवाम्ब महामाया त्वमेवासि क्षुधा तृषा। त्वमेव तुष्टि: पुष्टिस्त्वां महामारीं नमाम्यहम्।।५।। महामारीस्तोत्ररत्नं गङ्गाधरविनिर्मितम्। य: पठेच्छ्रद्धया नित्यं गृहे तस्य शुभं भवेत्।।६इति


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